Jaisalmer cuisine
Jaisalmer cuisine

Jaisalmer आकर आप राजस्थान के पारंपरिक और मशहूर खानपान का मज़ा ले सकते हैं। यहां की गलियां सुबह होते ही कचौड़ी की खुशबू में महक उठती हैं और दिन ढलते-ढ़लते इन दुकानों पर आप दाल-बाटी चूरमा, मुर्ग-ए-सब्ज, गट्टे की सब्जी, मटन साग और चूरमा जैसी कई चीज़ों का स्वाद ले सकते हैं। तो अगर आप जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल का हिस्सा बनने आए हैं तो यहां के इन ट्रेडिशनल डिशेज़ को खाए बिना आपका सफर अधूरा है।

Jaisalmer आकर इन डिशेज़ को चखना न भूलें

मटन साग
जैसलमेर के मशहूर स्ट्रीट फूड्स में से एक है मटन साग। इसमें मटन को पालक प्यूरी और राजस्थानी मसालों के साथ तैयार किया जाता है जो बहुत ही स्वादिष्ट लगता है। अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं तो जैसलमेर आकर इसे खाना बिल्कुल भी मिस न करें।

मुर्ग ए सब्ज
वैसे तो राजस्थान में वेजिटेरियन डिशेज़ की वैराइटी ज्यादा खाने को मिलती है। लेकिन नॉन वेजिटेरियन्स के लिए गिनी-चुनी दो-तीन डिशेज़ ही काफी है इनकी कमी को पूरा करने के लिए।इसमें चिकन को मसालों के साथ तैयार किया जाता है।

ये राजस्थान की पारंपरिक और बहुत ही मशहूर डिश है जिसका स्वाद आप छोटी-छोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स तक हर एक जगह चखने को मिलता है। इसमें अलग-अलग तरह के तीन आइटम्स एक साथ परोसा जाता है। चना, तुवर, मूंग, उड़द से बनी हुई दाल मसालों के साथ अच्छी तरह पकाया जाता है। इसे पंचमेल दाल कहा जाता है। आटे से बनी हुई बाटी को पकाने के बाद घी में डुबोया जाता है जो इसके जायके को बढ़ाने का काम करता है। और फिर इसे बाटी के साथ परोसते हैं। आम के अचार, प्याज के छल्ले और छाछ का साथ बढ़ाता है आपके खाने का स्वाद।

गट्टे की सब्जी
आसानी से पचने वाली ये डिश भी राजस्थान शहर की पहचान है। गट्टे बेसन के छोटे-छोटे गोले होते हैं जिन्हें फ्राई करके मसालेदार करी में डाला जाता है। इसे रोटी और चावल किसी के भी साथ सर्व किया जा सकता है।

प्याज की कचौड़ी
यहां नाश्ते में लोग प्याज की कचौड़ी खाना पसंद करते हैं। जैसलमेर में ही नहीं आमेर, जयपुर और जोधपुर में भी सुबह होते-होते गलियां इन कचौड़ियों की खुशबू से महक उठती हैं। यहां हर एक टूरिस्ट स्पॉट के बगल में लगी दुकानों पर आप इसका स्वाद ले सकते हैं। इसे चटनी और कढ़ी के साथ परोसा जाता है।

केर सांगरी
केर जंगली बेर होती है जिसका स्वाद खट्ठा-मीठा होता है और सांगरी लंबी बीन जो जैसलमेर और बाड़मेर में पाई जाती है। सांगरी की पैदावार के लिए यहां की जलवायु अनुकूल होती है। तेल और मसालों के साथ बनाई जाने वाली इस डिश को बाजरे की रोटी और छाछ के साथ परोसा जाता है।