religious places in india
religious places in india

Rameshwaram की ओर रवाना होने का विचार ही रोमांचित कर देने वाला है। वहां धर्म और इतिहास का अद्भुत संगम है। वहां के बारे में प्रसिद्ध पौराणिक गाथाओं के भौगोलिक और वैज्ञानिक प्रमाण हैं। सोचकर अचंभा होता है कि त्रेता युग (करीब 12 लाख वर्ष पूर्व) में अयोध्या के दो राजकुमार (राम और लक्ष्मण) 2,740 किमी. लंबा रास्ता तय कर यहां पहुंचे। लंका पर चढ़ाई करने के लिए सेना तैयार की और समुद्र पर पुल का निर्माण किया। वैसा पुल तैयार करना तो इस आधुनिक काल में भी बहुत मुश्किल है। सब कुछ कल्पना से परे लगता है, लेकिन थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मौजूद साक्ष्य लोक मान्यता पर विश्र्वास करने के लिए आधार बनाते हैं। भारत के गौरवशाली अतीत का बखान करते हैं।

मन नहीं भरता दर्शन से
Rameshwaram की धरती पर पांव रखते ही अजीब-सी अनुभूति होती है। दृश्यों को मानस पटल पर हमेशा के लिए छाप लेने की ललक बलवती हो जाती है। रामनाथस्वामी मंदिर के विशाल प्रांगण में भाव जागता है, यही वह स्थान है, जहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना की थी! इसके बाद ऐसा युद्ध लड़ा गया जो हजारों साल से भारतीय जनमानस में धर्मयुद्ध का पर्याय बना हुआ है! रामनाथस्वामी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग की महिमा ऐसी है कि उसे भर निगाह देखने के बावजूद दर्शन की इच्छा पूरी नहीं होती। इस इच्छा को पूरा करने के लिए तमाम लोग रामेश्र्वरम में महीनों बने रहते हैं या फिर यहीं बस गए। रामेश्र्वरम हिंदुओं के चार धामों में से एक है।

महज 29 किमी की दूरी पर है श्रीलंका
देश की मुख्य भूमि से कटे रामेश्र्वरम के हालात थोड़े अलग हैं। समुद्र के मध्य के इस भूभाग तक पहुंचने के लिए करीब पांच किमी. के समुद्री जल को पार करना पड़ता है। श्रीलंका के करीब का यह भूभाग रेल और सड़क, दोनों से जुड़ा हुआ है। यह स्थान श्रीलंका का सबसे नजदीकी भारतीय भूभाग है। यहां के धनुष्कोटि गांव से श्रीलंका की दूरी महज 29 किमी. है। यही वह स्थान है जहां से लंका जाने के लिए भगवान राम ने सेतु की स्थापना की थी। यहां से श्रीलंका के थलईमन्नार के बीच पुल होने के वैज्ञानिक साक्ष्य भी अब मिल चुके हैं। श्रीलंका पर चढ़ाई के लिए इसी पुल के निर्माण से पहले भगवान राम ने भगवान शिव की आराधना की थी। कुछ साल पहले जब भारत सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना बनाकर इस पुल के अवशेषों को हटाने की कोशिश की तब पूरे देश में इसका भारी विरोध हुआ था। जिसके बाद फैसला बदलना पड़ा था।

अब्दुल कलाम की याद
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जन्मस्थली रहा रामेश्र्वरम हाल के वर्षों में आधुनिक भारत का तीर्थस्थल बनकर उभरा है। कलाम से जुड़ी वस्तुओं को संग्रहालय बने आवास में देखते हैं, इस महान विभूति को याद करते हैं और उनके कार्यों के आगे नतमस्तक होकर वापस जाते हैं। यहां पौराणिक काल के मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं, तो कलाम के रूप में आधुनिक भारत का महामानव भी है।

मदुरई का मीनाक्षी मंदिर
रामेश्र्वरम से करीब 165 किमी. दूर मदुरई में है देवी मीनाक्षी का ऐतिहासिक मंदिर। द्रविड़ स्थापत्य कला का यह अनोखा उदाहरण है। चार दिशाओं में बने इसके चार द्वारों में देवी-देवताओं की इतनी मूर्तियां बनी हुई हैं कि कोई इन्हें गिनने खड़ा हो जाए तो वह गिनती भूल जाए। इनमें सबसे ऊंचे दक्षिणी द्वार की ऊंचाई 170 फीट है। छठी शताब्दी में बना यह देवी पार्वती का मंदिर है, जिन्हें मां मीनाक्षी के नाम से भी जाना जाता है। यह दक्षिण ही नहीं, बल्कि देश के प्रमुख मंदिरों में शुमार है। परिसर में भगवान शिव का भी मंदिर है। मदुरई रेलवे स्टेशन से यह मंदिर बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।

कैसे पहुंचें
रामेश्र्वरम दिल्ली से करीब 2757 किमी. की दूरी पर है। रेलमार्ग और सड़क मार्ग से सीधा संपर्क है। नजदीकी एयरपोर्ट मदुरई करीब 163 किमी. की दूरी पर है। यहां पर ठहरने के लिए कई स्तरों वाले होटल और गेस्ट हाउस हैं।

SOURCEhttps://www.jagran.com
Previous articleTigers के अलावा 6 अलग-अलग प्रकार के गिद्धों का घर है Panna National Park
Next articleTour and Travel agent in Diva, Mumbai, Maharashtra