Solo trip to Binsar
Solo trip to Binsar

खूबसूरत हिमालय के बीचों-बीच बसे उत्तराखंड के बिनसर को घूमने के लिए किसी संगी-साथी का जरूरत नहीं। इसमें कोई शक नहीं कि दोस्तों के साथ ट्रिप का मज़ा दोगुना हो जाता है लेकिन कुछ जगहें ऐसी होती हैं जिन्हें अकेले एक्सप्लोर करने का आनंद ही कुछ और होता है। बिनसर की गिनती आप उन चुनिंदा जगहों में कर सकते हैं। नैनीताल से महज कुछ किलोमीटर आगे बढ़ते ही अल्पाइन और रोडोडेंड्रोन के पेड़ों को देखकर ऐसा लगेगा जैसे ये किसी के स्वागत में खड़े हैं। 11वीं सदी से लेकर 17वीं शताब्दी तक बिनसर चंद राजाओं का गढ़ हुआ करता था। बिनसर का आकर्षण है कि यहां से केदारनाथ, नंदाकोट, त्रिशूल, नंदा देवी और पंचोली चोटियों को देखा जा सकता है।

तो अगर आपने अकेले घूमने के लिए बिनसर जाने का प्लान कर लिया है तो वीकेंड काफी है यहां की हर एक जगह को इत्मीनान से घूमने के लिए। तो आइए जानते हैं यहां आकर किन जगहों की सैर बिल्कुल न करें मिस।

जीरो प्वाइंट
बिनसर आने वालों की सबसे ज्यादा भीड़ जीरो प्वाइंट पर ही देखने को मिलती है। जहां तक पहुंचने के लिए आपको 2 किमी की ट्रैकिंग करनी पड़ती है लेकिन उस प्वाइंट पर पहुंचने के बाद जो नज़ारा देखने को मिलता है उसे शब्दों में बयां कर पाना मुमकिन नहीं। यहां से केदारनाथ, नंदा देवी और त्रिशूल की ऊंची और खूबसूरत चोटियों को निहारा जा सकता है।

गोलू देवता मंदिर
बिनसर वाइल्डलाइफ सेंचुरी से 4 किमी की दूरी पर बना है गोलू देवता मंदिर, जो कुमांऊ के पूजनीय देवता है। मंदिर में जो खास देखने को मिलता है वो है ये कि यहां लोग भगवान को मिठाई नहीं बल्कि पीतल की घंटियां चढ़ाते हैं। लोग अपनी मनोकामनाओं को एक कागज पर लिखकर घंटी पर चिपकाकर यहां बांधते हैं। ये अनोखी परंपरा काफी समय से यहां चली आ रही है।

बिनसर वाइल्डलाइफ सेंचुरी
ओक, पाइन और रोडोडेंड्रोन के घने जंगल लैपर्ड, हिमालयन बियर, जंगली बिल्लियों, लोमड़ी के साथ ही लगभग 200 प्रकार के पक्षियों का घर हैं। जानवरों के अलावा कई तरह के पेड़-पौधे भी इस जगह को बनाते हैं खास। फैमिली, फ्रैंड्स किसी के भी साथ यहां आकर कर सकते हैं एन्जॉय।

कसर देवी मंदिर
बिनसर की दूसरी मशहूर जगह। कहते हैं 19वीं सदी में स्वामी विवेकानंद जी ने यहां मेडिटेशन किया था। मंदिर की बनावट ही नहीं यहां का कल्चर भी बहुत ही अलग है और इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं चारों ओर फैले पाइन के पेड़।

बिनसर महादेव मंदिर
13वीं सदी का ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। चंद शासन में राजा कल्याण ने इसे बनवाया था। मंदिर की बनावट और कारीगरी राजाओं के थाट-बाट और कला के प्रति उनकी समझ और दीवानगरी को साफतौर पर जाहिर करती है।

कैसे पहुंचे

  • हवाई मार्ग -पंतनगर यहां तक पहुंचने के लिए नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां से बिनसर की दूरी 140 किमी है।
  • रेल मार्ग –
  • काठगोदाम, नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जहां से बिनसर 112 किमी की दूरी पर है।
  • सड़क मार्ग –
  • अल्मोड़ा से बिनसर के लिए आसानी से कैब और लोकल बसें मिल जाती हैं। जो अच्छी और सुरक्षित होती हैं।