sharad surnima 2018

कर्इ हैं नाम

24 Oct. 2018 बुधवार को Sharad Purnima का पर्व मनाया जायेगा। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को अलग अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा आदि। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। ज्‍योतिष का मानना है कि कि पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में इसे कोजागर व्रत माना गया है तो कहीं कहीं इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। कहते हैं कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। एेसी भी मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। यही वजह है कि इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने की परंपरा है।

जानें शरद पूर्णिमा का महत्व
देश का महत्वपूर्ण पर्व होने के साथ ही इस दिन का आैर भी कर्इ प्रकार से महत्व है। जैसे, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा का आकार पूरा और सोलह कलाओं से युक्त होता है।

कहते हैं इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इस अमृत से धन, प्रेम और सेहत प्राप्ति होती है। कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण इससे जो प्राकृतिक सौंदर्य रचित होता है उससे प्रेरित हो कर ही श्री कृष्ण ने इस दिन महारास के लिए चुना था। इस दिन इंद्र देव की पूजा भी होती है जो अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

शरद पूर्णिमा को बंगाली समाज भी इंद्र एवम् लक्ष्मी पूजन किया जाता है। एेसी मान्यता है कि इस रात्रि की मध्यरात्रि में महालक्ष्मी वर और अभय का दान लेकर पृथ्वी पर विचरण के लिए निकलती हैं आैर देखती हैं कि कौन रात्रि जागरण करते हुए उनकी आराधना कर रहा है। जो भी एेसा करता हुआ पाया जाता है मां उसे धन, सम्पत्ति का वरदान देने के साथ मृत्योरांत परलोक में सद्गति आैर मोक्ष भी प्रदान करती हैं।