Badrinath Temple
Badrinath Temple

इस साल मई महीने की 10 तारीख को सुबह सवा चार बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। इसके साथ ही यहां विधिवत पूजा-पाठ शुरू हो जाएगा और भक्तजन तथा तीर्थ यात्री प्रभु के विग्रह का वंदन कर सकेंगे। अगर इस बार आप भी बदरीनाथ जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यहां आपकी जानकारी के लिए बहुत कुछ है…

आस्था और प्रकृति का केंद्र
आस्था का केंद्र होने के साथ ही बदरीनाथ प्रकृति के सौंदर्य का घर भी है। यहां की नैसर्गिक सुंदरता भक्तों का मन मोह लेती है। यहां आकार ऐसा अहसास होता है मानों प्रकृति स्वयं ही कोई गीत गुनगुना रही है। यहां आने के बाद दर्शनार्थी नीलकंठ, माणाग्राम, भीमपुल और तप्तकुंड के दर्शन कर सकते हैं।

अद्भुत है यह नजारा
इस मंदिर के आस-पास प्रकृति की सुंदरता के अलावा कुछ हैरान कर देनेवाले नजारे भी देखने को मिलते हैं। एक तरफ पहाड़ी की चोटियों पर जमी बर्फ होती है तो दूसरी तरफ ठंडे पानी की झील। इसके साथ ही गर्म पानी के प्राकृतिक जल स्रोत भी यहां उपस्थित हैं, जो प्रभु की महिमा को दिखाते हैं।

नौकायन का मजा
बदरीनाथ धाम के आस-पास प्रकृति की गोद में इठलाती झीलों पर आप नौकायन का मजा ले सकते हैं। बदरीनाथ के पास ही वह पुल स्थित है, जिसे पांडु पुत्र भीम ने बनाया था। धार्मिक कथा है कि इसी पुल से पांचों पांडव सशरीर स्वर्ग गए थे।

मिलता है सरस्वती नदी का सबूत
आज सरस्वती के अस्तित्व को लेकर कई तरह की बातें होती हैं। लेकिन द्वापर युग के पांडवों के स्वर्ग जाने के घटनाक्रम से इस बात का पता चलता है कि सरस्वती नदी के रूप में स्थित थीं। प्रसंग है कि सरस्वती नदी ने पांडवों को सशरीर स्वर्ग जाने के लिए रास्ता देने स मना कर दिया था, इस पर भीम ने वहां पुल का निर्माण किया था।

व्यास गुफा
यहां देव ऋषि व्यास की गुफा भी स्थित है। कहते हैं यही वह गुफा है, जहां उन्होंने वेदों की रचना की थी और उनके साथ बैठकर स्वयं बुद्धि के देवता गणपति ने महाभारत का लेखन किया था। इसी गुफा कुछ दूरी पर गणेश गुफा भी स्थित है। यही वह स्थान है, जहां आप सरस्वती नदी के दर्शन कर सकते हैं। दुनिया में एकमात्र स्थान, जहां सरस्वती नदी का अस्तित्व कायम है।

ध्यान रखने योग्य बात
आप भले ही मई और जून के महीने में बदरीनाथ जाने का प्लान कर रहे हों। लेकिन ऊनी वस्त्र ले जाना बिल्कुल न भूलें। बदरीनाथ में मौसम बदलते देर नहीं लगती। सर्द हवाओं से तो ठंड बढ़ ही जाती है, बारिश होने पर कंपकपी भी झूटने लगती है। ऐसे में गर्म कपड़े ले जाना न भूलें। अपने पास खाने का सामान भी रखें।