Char Dham Yatra
Char Dham Yatra

हिंदुओं की पवित्र और आध्यात्मिक यात्राओं में से एक है उत्तराखंड की चार धाम यात्रा। इस यात्रा को छोटी चार धाम भी कहा जाता है। इनमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिरों के दर्शन शामिल हैं। इन सभी स्थलों को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय धर्मग्रंथों में इन स्थानों से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं हैं…

यमुनोत्री
इस छोटी चार धाम तीर्थयात्रा के पहले पड़ाव के रूप में हिमालय की गोद में बसे गढ़वाल और उत्तरकाशी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यमुनोत्री आता है। यही वह पवित्र स्थान है, जहां से यमुना नदी का उद्गम होता है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित यह स्थान अपने गर्म पानी के झरनों के लिए जाना जाता है। भक्त यमुनोत्री तीर्थ पर स्थित सूर्य कुंड के गर्म जल में चावल पकाते हैं और इसे देवी के प्रसाद के रूप में पूजते हैं। यहां माता रानी को आलू भी अर्पित किए जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण टिहरी के राजा नरेश सुदर्शन शाह ने सन् 1839 में करवाया था।

कैसे पहुंचें?
हवाई सड़क या रेल मार्ग से यमुनोत्री पहुंचा जा सकता है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो यमुनोत्री शहर से 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से देहरादून के लिए नियमित उड़ाने हैं। यहां पहुंचकर यमुनोत्री के लिए टैक्सी ले सकते हैं, जिसका किराया 3,000 रुपये से 4,000 रुपये के बीच होगा।

सड़क मार्ग से
हनुमान चट्टी तक चलने वाली राज्य बसों द्वारा भी यमुनोत्री पहुंचा जा सकता है। यहां से यमुनोत्री 14 किमी दूर है। यमुनोत्री से देहरादून 172 किलोमीटर और ऋषिकेश 213 किलोमीटर की दूरी पर है।

रेल द्वारा
देहरादून रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद, लगभग 3,000 रुपये के खर्च पर टैक्सी बुक करके यमुनोत्री पहुंचा जा सकता है।

कहां ठहरें?
हालांकि इस यात्रा के दौरान आपको ठहरने के लिए चुनिंदा विकल्प मिलेंगे। इनमें धर्मशाला और आश्रम शामिल हैं। मानंद आश्रम, काली कमली धर्मशाला, कालिंदी आश्रम और कमली धर्मशाला यहां प्रमुख हैं। लेकिन इन सभी में अग्रिम बुकिंग करना उचित है। इनके अलावा जानकी चट्टी में जहां सड़क मार्ग का समापन होता है, वहां एक यात्री लॉज है। यमुना नदी के किनारे स्थित बरकोट में भी ठहरने के लिए कुछ स्थान हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) का इस क्षेत्र में एक गेस्ट हाउस और एक छात्रावास भी चलता है।

गंगोत्री
गंगोत्री हिंदू धर्म में सबसे अधिक महत्व प्राप्त नदीं गंगा का उद्गम स्थल है। छोटा चार धाम यात्रा में गंगोत्री का महत्वपूर्म स्थान है। गंगोत्री की कहानी सदियों पहले की है जब देवी गंगा ने अपनी तपस्या के बाद राजा भागीरथ के पुरखों के पापों को भंग करने के लिए खुद को भागीरती नदी में बदल दिया था। तब भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में स्थान दिया था। यमुनोत्री से, जानकी चट्टी से वापस आते समय गंगोत्री पहुंचा जा सकता है और फिर यहां से सुबह की बस ले सकते हैं, जो मौसम और सड़क की स्थिति को देखते हुए छह से सात घंटे लेगी। गंगा का वास्तविक उद्गम स्थान गौमुख है। अगर आप इसके दर्शन करना चाहते हैं तो आपके यहां के लिए कम से कम दो दिन का समय लेकर चलना चाहिए।

केदारनाथ
छोटी चार धाम यात्रा में सबसे दूर का स्थान है केदारनाथ। जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 3,584 मीटर है। भगवान शिव को समर्पित, ‘पंच केदार’ और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस धाम का निर्माण आदिशंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में कराया था। यहां पहुंचने के लिए आपको पहले 14 किलोमीटर का सफर पैदल करने में समर्थता का प्रमाण पत्र लेना होगा। फिर आप गंगोत्री से सोनप्रयाग के लिए बस ले सकते हैं। सोनप्रयाग से 14-किमी की पैदल दूरी पर कोई गौरी कुंड के लिए एक साझा टैक्सी ले सकता है, जो कि गंगोत्री से केदारनाथ तक का मार्ग है। गौरी कुंड से आप पैदल, हेलिकॉप्टर या टट्टू से यात्रा कर सकते हैं। गंगोत्री से गौरी कुंड तक का मार्ग, इस छोटी चारधाम यात्रा में किसी भी दो धामों के बीच की सबसे लंबी (310 किमी) दूरी है और इसे पूरा करने में 14 घंटे तक का समय लग सकता है। बसें सुबह 4 बजे से सुबह 7 बजे तक चलती हैं, जिसके बाद दोनों स्थानों के बीच सीधी बसें नहीं हैं। इस स्थिति में आपको यात्रा (गंगोत्री से उत्तरकाशी से गौरी कुंड) के लिए बीच में रुकना पड़ सकता है।

बदरीनाथ
भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थों में से एक के रूप में, बद्रीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित धाम है। यह समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी स्थापना तब की थी, जब उन्होंने भगवान बद्री की सालिग्राम मूर्ति को अलकनंदा नदी में विसर्जित किया था और इसे बद्रीनाथ मंदिर के ठीक पहले ताप कुंड या ‘हॉट स्प्रिंग्स’ के पास एक गुफा में स्थापित किया था। इन हॉट स्प्रिंग्स को औषधीय माना जाता है और बद्रीनाथ मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करने का रिवाज है। बद्रीनाथ पहुंचने का सुविधाजनक और सबसे जल्द पहुंचने का तरीका टैक्सी लेना है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार स्थलों के एक-दूसरे के काफी करीब स्थित होने के बावजूद, उच्च पर्वतीय क्षेत्र पर स्थित होने कारण उनके बीच कोई सीधा सड़क मार्ग बनाना असंभव-सा है। इसीलिए लंबी दूरी तय करके ही यह यात्रा संभव है।